च्यारूं मेर कांव-कांव माचर्यो है सोर।
कागलां रै गांव में कागला ई चोर।
चढ बढ अेक सूं है दूसरो हुंस्यार।
कागलां रै ब्याव में कागलानुतार।
कागलो नीं चूक करै सांझ चाहे भोर।
कागलां रै गांव में कागला ई चोर।
डेढ आंख रो कागलो के करै हजार।
फेर-फेर देखल्यै आंख आर-पार।
चीकणी नै देखकर बांध लेवै टोर।
कागलां रै गांव में कागला ई चोर।
लोभ जैं रै खून में लालची पिराण।
लूटणो अ’र खोसणो कागलै री बाण।
साबती नै ले उड़ै हाथ आयां कोर।
कागलां रै गांव में कागला ई चोर।
तार-तार खोस नै और रो उजाड़।
आप घालै घूंसळो ऊंचळती डाळ।
चिड़कल्यां रै चींकलांरी नाड़ गेरै तोड़।
कागलां रै गांव में कागला ई चोर।
कागलै री मांवसी कोयली हुंस्यार।
आप हाळा म्हेल नै काग का दे मार।
जिंदगी’र मौत को यूं मिलावै छोर।
कागलां रै गांव में कागला ई चोर।