बा सोच्या करै है कै

कदास!

रंग करणिया पंछा

हियै मांय छप्योड़ै दरद नै

हरख मांय बदळ सकता,

इण अनोखी अर

रंगीन अमूझणी नै

हरख रै रंग मांय

रंग सकता,

पुराणी पोथी रै मांय

बिखरयोड़ा सुपनां नै

बठै सूं मिटा सकता,

कीं ओळुंवां जिकी

रैय-रैय’र

हियै मांय उतर जावै,

बांरै आवण रै मारग नै

सूनो कर सकता,

उणनै चाईजै अैड़ा पंछा,

जिका उणरै च्यारूंमेर री

सगळी रंगोळी नै

पाछी धोळी कर सकै,

उणनै सगळो

सरू सूं रंगणो है।

स्रोत
  • सिरजक : सोनाली सुथार ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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