कदैई तौ भूलौ
टाबरां ने भूगोल पढावणौ।
हंसौ गडगड हंसी।
हंसी जिण सूं खिल जावै
हिंवड़ै रा तार तार।
पैलड़ी बरखा सूं ज्यूं पांगरै
बरसां सू सूखै-थार फूल-पानड़ा।
थांरै हंसतांई
हंसण लागेला
चूलै माथै तपतौ तवो
अर तवे माथै सिकती रोटी।
थारै हंसताई
खिल जावैला
बेलड़िया में फूल
खेजड़ल्यां में मिमझर
अर टाबरां री आंख्यां में
भूगोल।
(चाहना नीं रैवैला थन्नै भूगोल रटावण री)
कदैई तौ बणावौ मन नै पंछी
रोही रौ पंखेरू
घर-आंगण री चिड़कलियां।
उडौ-आभै में
ऊंचा-घणा ऊंचा
बतावौ टाबरां नै आभै अर
ऊंचाई रौ मायनो।
कदैई तो
फ्लैट री पांचवीं मंजिल में
टाबरां सांमी बण जावौ
ज्यूं गटरका करता हा बचपणै
फळसै अर ग्वाड़ां में।
भूल जावौ कीं पण जरूरी बातां
कदैई तौ।
पळटौ जूनी पोथ्यां रा पानड़ा
बाचौ वा आखरमाळ
जिण रै नीचै कदैई
खांची ही लकीरां।
(लकीरां-जिण में छिपियोडौ है
उण बगत रौ अर्थ)
आंख्यां उद्याड़ौ अर देखौ
आज तलक आवै है
रोहीड़ां में राता फूल
चौमासै हरियल होवै
धरती रौ आंगणौ।
लीला व्है जावै सूखा ठूंठ।
आज तलक।
देखौ-आभै में अजैई ऊगै
वो तारौ
जिणने टाबरपणै जोवता हा
बातां बीच।
(अपणा टाबरां री आंख्यां में
उगावौ उण तारै नै)
उछळौ-बण’र बाछड़ा
सोनलियां धोरां जाय।
कदै’ई तौ कदैई तौ
वै कामई करौ
जिण नै करण सूं
डरण लागग्या हो आजकाल।