नेठाव सूं

वो

घड़तौ रैयौ थनै

देवण

खुद रौ रूप

वा गैरी आंख

मोवणी मुळक

लांबा केस

पतळी आंगळियां

काची माटी सूं घड़ियौ

एक-एक अंग

पछै जुगां लग

जोवतौ रैयौ थनै

चांणचक एक दिन

उण

काढियौ आपरौ काळजौ

अर

धर दियो

उण माटी रै मांय

पछै वो भूलगियौ सै

अबै

आखी दुनिया

देवै उणनै ओळबा

वा कांई जाणै

कै उणरौ काळजौ तौ

थारी माटी मिळियोड़ौ है।

वो उपर बैठौ है

काळजै बायरौ...!

स्रोत
  • पोथी : घर तौ एक नाम है भरोसै रौ ,
  • सिरजक : अर्जुनदेव चारण ,
  • प्रकाशक : रम्मत प्रकाशन, जोधपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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