लोभ नौकरियां को छोड़ो म्हारा छैल-
गांवा में चाळां खेती करां जी।
रास पराणियां नूंया लेल्यां,
हळ कूळी गाड़ी के पहल्यां।
नागौरी खरीदां चौखा बैल-
गांवा में चालां खेती करां जी।
लोभ...
फसल बोवां विज्ञान सूं,
खाद बीज दां ध्यान सूं।
कूबड़ा प लगाल्यां ट्यूब-वैल-
गांवां में चालां खेती करां जी।
लोभ...
टेम टेम प पाणी बरसे,
फसल देख मनडों यूं हरसे।
नोट जेबां में होवे भावे खेल-
गांवा में चालां खेती करां जी।
लोभ...
आज कोटे खाल उदयपुर,
तौल नहीं ख़द भेजदे जैयपुर।
आबा जाबा का चक्कर नं दूरां मे ल
गांवा में चालां खेती करां जी।
पुस्तेनी धन्धों करता,
कोई नहीं भूखां मरता।
घर आंगणिया की छूटे नहीं देळ
गावां में चालां खेती करां जी।
लोभ..
भला मनख गावां का लागे,
दुख सुख में सबके छ सागे।
यां का मन में नहीं छे कोई मेल
गांवा में चालां खेती करां जी।
लोभ...
असली मं नकलो खाता,
खाण पाण कछु नहीं भाता।
वहां घाणी मं खडाल्यां असली तेल
गावां में चालां खेती करां जी।
लोभ...
घबरागी धूंधाड़ा सूं,
पीं पीं अर पूपाड़ा सूं।
सांसा लेबो कठण को होयो खेल
गांवा में चालां खेती करां जी।
लोभ...
छोरा छोरी पढा लिखा’र
शादी ब्याह सब निपटार।
पाछे दुनियां की करांगा दोन्यू सेल
गांवा में चालां खेती करां जी।
लोभ...