अेकर

पींजरा सूं छूट्योड़ो

उड़ज्या, भागज्या

जीवड़ा!

तूं पाछो

पींजरै रो

आसरो ढूंढैला

जीवणै री सून्याड़

कठै पड़ी है बावळा?

स्रोत
  • पोथी : उघड़ता अरथ ,
  • सिरजक : सुंदर पारख ,
  • प्रकाशक : राष्ट्रभाषा हिंदी प्रचार समिति, श्री डूंगरगढ़ ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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