फैल्योड़ो आभो

जकै रो

नीं तो अैड़ो

नीं छैड़ो

न्हांसते हांफते

फोफस बादळ रै

आयगी फैफ्यां

खिंडण आळो ही हो बादळ

कै पून रै लैरकै सूं

रळग्यो

हर्‌यै भर्‌‌‌‌‌‌यै बादळ में

जीग्यो बादळ

नीं रैयो फोफस

अर जीवायग्यो

मनै भी।

स्रोत
  • पोथी : जागती जोत मई 1995 ,
  • सिरजक : वासु आचार्य ,
  • संपादक : गोरधन सिंह शेखावत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर
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