जमघट मानखै रो

दौड़तो-भागतो

हांफतो मानखो

पेट री गरज रै मुजब

गांव छोड'र

सै'रां

कानी पसरतो मानखो

आजादी अडाणे मेल

बंदी बणतो मानखो

लांबी-लांबी लैणा में

घुट्योड़ी सांसां में

पसीजतो पीसीजतो मानखो

कुण पड़्यो कुण दब्यौ

कुण लारै रह्यौ कुण मर्यो

अपणायत नै आगी राख

नेड़ौ हुतां थकां

अळगौ व्हैतो मानखो

किणनै टैम नी है

दो घड़ी बैठण रौ

बतळावण रौ

कुण देसी थ्यावस

कुण बोलसी मीठा बैण

कुण व्हैला

एक दूजे रौ सैण

जंजाळ री अणूती

दीठ में चहुँफेर

अळूझ्यौड़ो

कुमळायौड़ो मानखो

चाँद नै नैड़ो करतो

जमीं नै छोडतौ

चाँद पर चढ़तो

जमीं नै तजतो

आभै री ऊँचाई में

ठींडौ करतौ मानखो

कठै जावतो ठैरसी

छापळयोड़ौ मानखो

स्रोत
  • सिरजक : प्रमिला चारण ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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