काजळ काळी आळस आळी रात बीतगी आओ
धरती मां परभात्यो गावै जागो और जगाओ
नहरां सूं नाराणी खेतां मोतीड़ा रळकासी
ऊंचा धोर धूळ सूं धाया धान घणौं निपजासी
लिछमी गासी गीत बधावो खांड-खोपरा खासी
भूख भूंवाळा खाती भूंती काळै पाणी जासी
पांच बरस री बणी योजना आवो सफल बणावो
धरती मां परभात्यो गावै जागो और जगाओ
सड़क सुहागण कार कामणी लाम्बी कोस मिटासी
रेल भवानी सदा सुहानी माल घणेरो ल्यासी
आभै री उड़ती बाणी आ थानै खबर सुणासी
बिजळी री बत्तियां बळ-बळती चमक च्यानणूं ल्यासी
सुख सांवरियो आवै पावणूं जाय सामेळै ल्यावो
धरती मां परभात्यो गावै जागो और जगाओ
आज झूंपड़ी काया पळटी खेत-खेत में हेली
खांखरिया खा हिम्मत राखी आज तुलावै भेली
सुणी शहर रा चतर मानखा पकड़ गांव की गैली
हाथ उठाले कसी कुदाली लाम्बी उमर बधैली
पढ़-लिख नैं थां खेती करल्यो बाबू पणो मिटाओ
धरती मां परभात्यो गावै जागो और जगाओ।