छितिज ताईं बिलाळ समतळ भोम
आथम्योड़ै सूरज री लाली में उजास अगनी रौ
नींद लेवतौ ऊभौ है चित्तौड़ हरियळ ढळांस रै कांठै
रुखालौ मेवाड़ रै बीत्योड़ै गौरव रौ
पासांणां, भींतां सूं फूटतौ विलाप
विजै थंभ चित्तोड़ रौ, कदळी सूं घिर्योड़ौ—
ऊँचै मस्तक नै थिर कियां
अणंत सूं बंतळ में लीण।
मिळण वेळा में इतियास दोवड़ावै
कथा दुस्मी रै कपट री, नक़ल री
गजांरी चिंघड़
हिणहिणाट तुरंगां री
गूंजण लागै कानां में
जीवै है टूटा पड़्या मकानां में मिरतुअर नास—
जिका घटीज्या राजपूतांणा मांय।
पून री हिलोर सूं बाजण लागै
घंट्या जैन मिंदरां री।
पड्योड़ा मकानां नै ढकती धूड़
जिका अलाप्योड़ा है घाटी री हरियाळी में।
बूढौ राजपूत सिवरा चरणां में
नासकाहीण ईस री वंदणा में लीण
मीट जमाय’र देखै कै तक़दीर कांई कैवै...
सुणौ बाबा! अठै ई है थांरा जवांन बेटा
अर साथै है जवांन भारत!