अंधार घोर आंधी प्रचंड
आ धुवांधोर धंव-धंव करती
आवै है उर में आग लियां, गढ़ कोटां बंगळां ने ढहती!
बैताळ बतूळौ नाचै है, जिण रै आगे संदेस लियां
राती नै काळी पीळी आ, कुण जांणै कितरा भेख कियां
वै संख बजे सरणाटां रा, कोई गीत मरण रा गावै है
डंकै री चोट करै भींतां, बायरियौ ढोल बजावै है
विकराळ भवांनी रमै झूम, धरती सूं अंबर तक चढ़ती
अंधार घोर आंधी प्रचंड, आ धुंवांधार धंव-धंव करती
आवे है उर में आग लियां
गढ़ कोटां बंगळां नै ढहती!
नींवां रै नीचै दबियोड़ी, जुग जुग री माटी दै झपटौ
ले उडी किलां नै जड़ामूळ, पसवाड़ौ फेर लियो पलटौ
तिणकै ज्यूं उडगी तरवारां, गौचै रौ रूप कियौ भालां
रूंखां रै पत्तां ज्यूं उडगी, वै लाज बचावण री ढालां
वा पड़ी उखरड़ी में बोतल, मद पीवण रा प्याला उडग्या
मैफिल रा उडग्या ठाट-बाट, महलां रा रखवाळा उडग्या
वै देख जुगां रा सिंघासण, रड़वड़ता पड़िया ठोकर में
वै देख हजारां मुकट आज, उडतोड़ा दीखै अम्बर में
वै ऊंधा लटकै अधरबम्ब, नहिं झेलै अम्बर नै धरती
अंधार घोर आंधी प्रचंड, आ धुवांधोर धंव-धंव करती
आवै है उर में आग लियां
गढ़ कोटां बंगळां नै ढहती!
आंधी आ अजब अनूठी है, डूंगर उडग्या सिल उडी नहीं
सिमरथ वै ढहग्या रंग-महल, हळकी झूंपड़ियां उडी नहीं
उड गयौ नवलखौ हार देख, मिणियां री माळा पड़ी अठै
उड गई चूड़ियां सोनै री, लाखां रौ चुड़लौ उडै कठै
उड गया रेसमी गदरा वै, राली रै रंज नहीं लागी
आ फिरै कांमेतण लड़ाझूम, लखपतणी मरगी लड़थड़ती
अंधार घोर आंधी प्रचंड, आ धुंवाधोर धंव-धंव करती
आवै है उर में आग लियां
गढ कोटां बंगळां नै ढहती!
अंधकार मत जांण बावळा, इंकलाब री छाया है
इण भाग बदळिया लाखां रा, केई राजा रंक बणाया है
रे आ वा काळी रात जका, पूनम रौ चांद हंसावै है
रे आ वा वाल्ही मौत जका, मुगती रौ पंथ बतावै है
रे आ वा भोळी हंसी जका, कै मरती वेळा आवै है
इण धुंवांधार रै आंचळ में, इक जोत जगै है जगमगती
अंधार घोर आंधी प्रचंड, आ धुंवाधोर धंव-धंव करती
आवे है उर में आग लियां
गढ कोटां बंगला नै ढहती!