मिळै आं सबदां नै
थारै रूड़ै जूड़ै रै हर चम्पै री सौरम
आं ओळ्यां नै मिळै
थारै कंवळै काचै लोई री लाय
आं मदछकिया छंदा नै मिळै
थारी उभरती छाती रौ उठाव
सूखा कण्ठां में उतरै
थारै भुजबंधण रौ मद-भाव
आं अरथां नै मिळै
थारै जोबन रौ कुच-घाट
थारी वासणा री लळक ज्यूं
चंचळ व्है म्हारी अनभूती
पछै इण रचणा री ग्रीवा माथै
चढण दै
चढण दै आतमा रौ भूत!