लयकारी मांय

तान अर मींड री मिठास

कंठ अंवेरै सबद,

सबद रै मांय रो उजास

मूंडै बोलती राग

आरोह-अवरोह मांय

अेकूं-अेकूं कर

उतारै-

सगळा ही

बोदा घाबा

म्हूं निरखूं

सुर मांय

ओ-

आखो जग।

स्रोत
  • पोथी : बिणजारो 2016 ,
  • सिरजक : राजेश कुमार व्यास ,
  • संपादक : नागराज शर्मा ,
  • प्रकाशक : बिणजारो प्रकाशन पिलानी
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