म्हैं निरखी
वा जंबूदीप रै भरतखंड माथै
इळा री जात छी
म्हारै भाळतां ई वा हरी व्हैगी
म्हारी आतमा छी हेम
जिकी पराया बिखा में पिघळती आंख्यां में
अटक्योड़ी छी
न्यावेक सी अटक्योड़ी
जांणै किणी खूंटी माथै टिरती व्है उणरी छींया
आ छूटी....आ छूटी
अेड़ी मनगत में
म्हारी निजरां सोच्यौ
तद तौ व्हैला उणरै मांय ई भाटा
जाळमुखी रौ खदबदतौ लावौ
माटी रा डगळ
कोयला, लोह, तांबौ, सोनौ, चांदी आद धातां
पण व्हैला सीर ई
अर वा पोळच
जठै म्हैं बीज बण रैय सकूं
थोड़ी ताळ
उणरी निवास मैसूसतौ
आळस मरोड़ परगट सकूं प्रीत बण
पण इण सारू जरूरी के वा फाटै
जोजरी होय तिड़कै उणरी फूटरी देही
बरकै माटी री जात उणरी माटी
इळा आपरी तरेड़ां बिना
कित्ती अडोपरी अर अधवीठी लागै
तरेड़ जांणै व्है उणरा होठ
बुरबुरा, भखभूरा
कीं अटक्यां खिंडण नै त्यार
कठैई बायरी, जोयला रौ टोपौ के बिरखा री छांट
खिंडाय नीं दे
म्हैं तरेड़ ढांपण नै थुड़तौ बधावूं आपरी हथाळियां
वा म्हारै हाथ रै बाच्यौ देवती
आपरा होठ बीड़ लेवै
अेक सीलौ सांस छोडती
उणरा बीड़्योड़ा होठां सूं तद
म्हैं दूब रा नरम तांता रै मिस मुळकूं...