सरपट दौड़ी रियो
हर्दा ना मारग माथै
इच्छा नो घोड़ो!
मन मालिक
इन्द्रियं नी चाबुक थकी
मारै वार-वार।
आँखं माथै
अज्ञान नीं
पट्टी बांध्या थका
घोड़ो नै
क्यं जावू
ई'ज खबर न्हें...
बस दौडतो'ज जाई रियो है
मालिक नै
ईशारं माथै।
दौड़ते-दौड़ते
अवै ई
वगड़ी ग्यो है
संयम नी लगाम वते
नती रुकातो।
सवार लाचार बणी
सब जोई रियो है
खबर न्हें
क्यं जाई नै ऊभो'र हैगा
इच्छा नो
हाराबार
आ घोड़ो..!