आप कैवो कै

बेमानी हुयग्या

सरवहारा अर समाजवाद

अर इणीं भांत रा सबद

पण

दिल्ली रो रिक्सैवाळो

आज बठै रै

वकील का मास्टर री बनिस्पत

अपणायत महसूसै

चैनई का किणी और स्हैर रै

रिक्सैवाळै सूं।

‘ग्लोब्लाइजेसन’ रै जुग मांय

कागदां मांय

मिट्या हुसी

अै सबद

पण आज

खेतां मांय वापरेड़ी सुनियाड़

तेल रै दीवै रो च्यानणो

पसीनै री सौरम

पेट री भूख

आंतड़ीयां री लम्बाई

मै’ल अर झूंपड़ी रो फरक

नीं मिट्यो है।

आओ

चस्मो बदळ’र देखां

कीं इन्नै सूं बिन्नै

अर बिन्नै सूं इन्नै

कर’र देखां।

स्यात कीं नवां सबद रचीज्यै

पुराणी पीड़ कैवण खातर।

स्रोत
  • पोथी : रणखार ,
  • सिरजक : जितेन्द्र कुमार सोनी ,
  • प्रकाशक : बोधी प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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