लिखतां लिखतां लिखीजगी,
बातां कीं राती-माती,
ता सुन्दरी सांच कैवूं,
लंपटां रै गेलां चाल पड़ी,
पांच बरसां पछै ऊगै,
फसलां नित नवला नारां री,
आवै आ वेळा अेकर ई,
मीठी-मीठी मनवारां री,
अेक दांण रो राजा है थूं,
पछै भाग में भटका है,
लुळताई फगत थारै लिखी,
अै लोकतंतर रा लटका है,
मुंड हला बै चावै ज्यूं,
मूंडौ खोलण री मनाही है,
पगरखी सोभा पग री हुवै,
आ ठौड़ सदा सूं ठावी है,
बोल पण हुसी थारा अपघाती,
लिखतां-लिखतां लिखीजगी,
बातां कीं राती-माती।