अेक छात

अेक आंगणो

मोड़ो भी अेक

बारी अर रोसनदान

बण जावै रैवास

रिस्ता लेवै सांस

पीढ़ियां निसरती जावै

अर

अेक दिन

जद पड़ जावै भींता

फंट हुय जावै

बंट हुय जावै

बण जावै सींव

टसकण लागै

पुरखां रा सुपना

अर

बिसरा देवै

अेके री सीख

स्रोत
  • पोथी : पैल-दूज राजस्थानी कवितावां ,
  • सिरजक : सीमा भाटी ,
  • प्रकाशक : गायत्री प्रकाशन
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