जणां कणैई

हुवै मन अणमणो

खुरसी माथै टंग्यो डील

गोखै तो है छात रा सैंथीर

सोधै बां बल्यां में

ढब्योड़ो हुवै

म्हारी अबखायां रो कोई उपाय

कोई ऐडो सांवठो गेलो

जिको पुगावै पार

ओळपंचोळी अणमणी मनस्या रै

हियै में ढुकावै

आस री कोई किरण

जिण रै च्यानणै

भर लेऊं जूण रा दोय पांवडा।

म्हारी हरख-मुळक माथै

जमीं अबखायां री धूड़

जिकी बणगी अब चिट्टो

जिण नै हटावण री

नीं सूझ अर कोई जुगती

छात भी साव नटती सी लखावे

भींतड्यां दुड़ण रा

काढती लखावै ओळाव

इणींज दोगाचींती में नींद

चिटूली आंगळी थाम

ले जावै नवै दिन रै

नवै सवेरै सूं भेंटा करावण

पण म्हारै भेजै

अटल सागी सुवाल

काल भळै जामसी

नवीं चिंतावां

उणां रै उपाव री विद

कद जामसी

पण छातां म्हारै माथै

बिंयां रैवै मुंधीज्योड़ी।

स्रोत
  • पोथी : थार सप्तक 6 ,
  • सिरजक : धनपत स्वामी
जुड़्योड़ा विसै