आंगण दीवटिया जळाले गिणगोर,

दिवाळी आई जगमगती॥

सज सोळा सिंणगार गौरड़ी, ओढ़ कसूमल साड़ी।

नुवीं वींदणी सी वण चालै, झीणों घूंघटो काढ़ी॥

थारै कानी सब नालै गिणगोर, मुळक जद थूं हंसती॥

आंगण दीवटिया जळाले गिणगोर, दिवाळी आई जगमगती॥

कमर कन्दोरो बांध बावळी, छम-छम बिछिया बाजै।

मन में नाचै मोर-पपीहा, जद इन्दरियो गाजै॥

छाजै-छाजै जळा ले गिणगोर, मोमबत्तियां जळती।

आंगण दीवटिया जळाले गिणगोर, दिवाळी आई जगमगती॥

नाकां में नथ, हार गळा रो, लूंमा लड़ियां वाळी।

रमझणियां पैंजणियां वाजै, कड़ियां अर खूंगाळी॥

चाली-चाली नखराळी गिणगोर, ठुमक पगल्या धरती।

आंगण दीवटिया जळाले गिणागोर, दिवाळी आई जगमगती॥

हाथां मेहन्दी सुरंग राचणी, कंकू रा पगतलिया।

रंग रंगीला आंगणियां में, मांड वरा मांडणिया।

चणिया-साड़ी पै छपाले गिणगोर, चरकली चूं-चूं करती।

आंगण दीवटिया जळाले गिणगोर, दिवाळी आई, जगमगती॥

धूप, नारियळ, माल-मीठायां, माळा अगरबती।

केसर, चौखा, चन्दन, सुपारी, हरा पान री पत्ती॥

रत्ती-रत्ती मंगाले गिणगोर, आवैली लिछमी छम-छम करती।

आंगण दीवटिया जळाले गिणगोर, दिवाळी आई जगमगती॥

स्रोत
  • पोथी : आखर मंडिया मांडणा ,
  • सिरजक : फतहलाल गुर्जर ‘अनोखा’ ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भासा, साहित्य अर संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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