राधा रा रंग अर कान्हा री पिचकारी,
प्रीत रा रंग मं रंगगी या दुनियादारी।
मचगी ब्रज मं धूम आळी रै आळी,
रंगा रो त्यौंहार लेयर आयो ख़ुशहाळी॥
पिचकारी री धार अर गुलाळ री बौछार,
भर-भर पिचकारी रंगा री ल्यावै।
लाल, पीळा,नीला,हरिया गजब रंगां रौ खेल,
यो ही वो त्यौंहार है जो आपस मं बढ़ावे मेळ॥
आपरा होवै या पराया मिळकर सगळा रंग लगावे,
पीकर भांग रा प्याला सगळा मस्ती मं झूम जावे।
हो सागु अपणारो प्यार,
यो ही हौवे है होळी रौ त्यौंहार॥
राधा कमल गुलाब री,
केशर घोळकर ले आई।
ले पिचकारी हाथ मं सांवरिया पै बरसाईं,
आकाश मं भी रंग बिरंगी घटा छाई॥
मौसम भी अब बदळवा लाग्यो है,
शीत ऋतु ले री है बिदाई।
होळी रा रंग अब सजणे लाग्या है,
ग्रीष्म ऋतु री आहट है आई॥
होळी रो त्यौंहार आयो खुशियां अपार ल्यायो,
छोटा मोटा सगळा आपस मं रंग लगावै।
अर देखो देखो यो नजारो,
देवर-भाभी के रंग लगावै॥
होळी खेले देवर-भाभी,
होळी खेले जीजा-साळी।
पी कर देखो भांग री प्याली,
भर-भर ल्यावै सगळा रंगा री थाली॥
च्यारुंमेर बिखर् या है रंग,
चुनड़ी भीगी भीगी चोळी है।
पिचकारी सूं भीग्यो हर अंग है,
ई तांई ही या रंग भरी होळी है॥
भाईचारे रो यो त्यौंहार है,
प्रेम-प्रीत रो यो त्यौंहार है।
रंग जावै सगळा इक-दूजे रै रंग मं,
यो ही वो खुशियां रो त्यौंहार है॥