बखत री पैड़यां चढ़तै
आथूणै सूरज रै
थाक्योड़े मूंडै रौ
म्हनै चेतौ है
इतिहास रौ स्यारौ लेय’र
संकळप रै खेतां में
चवतै पसीनै रौ
म्हनै चेतौ है
बौ दरसाव
आज भी म्हारी आंख्यां सांम्ही है
जद म्हारै पाग बांधता
गळगळी हुई म्हारी आंख्यां
उण पछै
ऊग्यौ चमचमातौ सूरजी
अर खिलग्या च्यारूंमेर
सौरम भरिया फूल
म्हनै चेतौ है
बठे सूं सरू हुई जातरा
बखत रै अेक पड़ाव साथै
रळ-भिळग्यौ इतिहास
अर आगोतर
अेक दूजै रै सागै
क्यूं'क
म्हनै चेतौ है
चेतौ।