कूड़ कोनी कथीजी
के हेत रा
हजार रंग हुवै।
उण बगत रै बायरै में
म्हैं सूंघतौ
प्रीत री सौरम
रात्यूं रास करतौ
सपनां रै आंगणै
हियै रचतौ
अेक इन्दरधनख।
बगत परवांण
हणै ई
हर रा नुंवा निरवाळा रंग
म्हारै सांम्ही ऊभा है
चितराम अवस बदळग्या।
स्यात्
इम बेरंग हुवती दुनिया में
रंगीन देखण सारू
जरूरी हुवै
हेत रंगी आंख्यां।