गोदारां रै बास मांय

साठ बरस जूनो बोदो कीकर

आज साफ दिखावै

जेवड़ै रा रग्गा

जिकै माथै हिंड्या करती

सगळै बास री छोरियां

कूकल्यां मार-मार'र

दोपारां रै टेम

निडर होय'र

पण अब कुण ढक्कै बै रग्गा

कुण चढ़ावै पींग

बै तो जा पूगी

परायै घर

परायां लारै

बण'र नार।

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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