जीवण री इण डगर माथै
कीं असैंदा अैड़ा ई मिळ जावै
ठाह नीं कीकर अर क्यूं?
उणां नै कीकर
औ हिवड़ौ मान लैवै
मन सूं सहगामी
निजर आवै उणां रै नैणां में
वो सनेव जिण री भाळ हुवै
इण अंतस नै
जुपाय लेवां हियै में
अेक दिवलौ नेह तणौ।
अणूतौ खिंचाव हौवै उणां में
कटियोड़ी पतंग रै माफक
उडतौ-लहरावतौ
उणां रै आगोस में खैंचीजतां जावां
हियै में अेक चबीड़ सो उठ जावै
हर छिण नैणां में उण री
छिब निहारण री बाट जोवै।
उण नै ई रैवै
हर घड़ी उणीज तरै री बाट
अेक जिद दरस पावण री
सगळौ कीं जांणता समझता थकां ई
नीं कर सकां आपां
उण साथी री जिद पूरी।
अंतस में हौवै
जिण सारू अणमावतौ सनेव
घर परिवार, कडूंबै रा कीं संस्कार
आडा आय जावै
पण हौवै इज क्यूं औ सनेव?
जिण रै कारणै रैय नीं सकै
कोई मिनख बिसर नै
आपरै बेली सूं
दुख दरद मिळै
केई वेळा सनेव रै मारग में
कठै मिळ सकै सनेही जीवण में
कठै मिळै मंजिल उणां नै
बिछड़ण रौ दरद पांती आवै
उणा रै करमां में
औ सनेव ई अनूठौ हौवै है नीं!
मिनख चावतौ थकौ ई नीं कर सकै
इण डगर रै माथै केई सूळां-
बिछोह अर दरद इज हमेस निंगै आवै
नेह री डगर में खुसी तौ है
दरद ई कम कोनी
साचै नेह जकौ करै
उणा रै करमां में
तजणौ लिखयौड़ौ हौवै।
मत जांणजौ थे
कूड़ौ नेह करण आळै नै
ओळखांण करजौ उण री मजबूरी री
जिण थांनै आतम री ऊंडाई सूं कीनौ नेह
जीवती रैवैला आ चावणा आखी उमर
उण रै ऊंडै अंतस में
कदैई नीं बिसराय सकै उण
इण चावणा नै।