मा नै औपरेशन थियेटर मांय जांवतै देख’र

गळगळीजती धूज रैयी म्हैं...

पण वा देय रैयी ही निसंग व्है नै...

दूध नै फ्रिज मांय धरण री भोळावण

दई वास्तै जावण,

तुळछां जी मांय नित पाणी ढाळनै री ताकड़,

चिड़ी रै दाणै री फिकर,

पाळसियै मांय पाणी री निंगै,

गाय-कुत्तै नै बखतसर रोटी घालण री चिंत्या...

अरथाव है-

लुगाई जूण रै गिरस्त धर्म रो...

म्हैं जाण लियो-

घर नै मिंदर सूं बत्तो

बणावण आळी मा...

नीं जा सकै मसाणां सोरै सांस

जी नीं अटकै गैणा, पूर-पल्ला मांय

पण वा ठीमर जावै...

घर री सांगोपांग रुखाळ मांय,

अळूज जावै बासी दाळ रै निवेड़ण मांय,

अटक जावै निजर कलैंडर माथै

आंवतै वार-तिंवार री तिथ सोधण कानी...

इण धरती माथै...

हरेक लुगाई जलमजात

‘हॉर्स ब्लाइंड’ लगा’र जलम लेवै।

स्रोत
  • पोथी : नेगचार पत्रिका ,
  • सिरजक : मनीषा आर्य सोनी ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • संस्करण : अंक-16
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