घणों मन भावणो

आपरो आवणो!

आपरो आवणो

घणों हरखवणो!

फूल री गंध

तिरती हुवै ज्यूं तिरो!

तितलियां नाच

फिरती हुवै ज्यूं फिरो!

यूं अनोखो घणों

आवणो-जावणों!

आपरो आवणो

घणों हरखावणो!

आप आवो, जियां

आवती व्है हवा।

पीपळी रा गुलाबी-सा

पत्ता नवा।

लाज सूं दौड़

थम, फेर मुळकावणो!

आपरो आवणो!

घणों हरखावणो!

चांनणी ज्यूं छिटक

हस रह्या लाज सूं।

सांझ री चहक

संगीत रा साज ज्यूं।

सात सुर में सह्यो

मोवणो गावणो।

आपरो आवणो

घणों हरखावणो।

देखतां आप दीसो

नहीं आँख सूं।

बात किण सूं करो

फूल सूं, पांख सूं?

रूप फागण जिसो

रंग बरसावणो!

घणों मन भावणो

आपरो आवणो!

सांस बाजै, जियां

बाज री पायलां।

कोई ठण्ड़ी दवा

घाव पर घायलां।

किणीं फूलां रै

सपनां ज्यूं मुळकावणो।

आपरो आवणो

घणों हरखावणो।

आप कुण हो, कठै हो

कै’वो तो सरी।

आंखड़ी में नैं मन में

रै’वो तो सरी।

जो बोलो

तो लागै है अणखावणों।

आपरो आवणो

घणों हरखावणो!

घणों मन भावणो

आपरो आवणो!

आपरो आवणो

घणों हरखावणो!

स्रोत
  • पोथी : सगळां री पीड़ा-मेघ ,
  • सिरजक : नैनमल जैन ,
  • प्रकाशक : कला प्रकासण, जालोर ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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