गाय ब्याई बाच्छो ल्याई
धोळे रग रो आच्छो ल्याई
दूध मळाई जीमो भाई
खीर पकाई सगळां खाई
सगळां खा’र सराई भाई
हम्मै कैवो किर-किर आई
राम दुहाई।
राम दुहाई॥
आजादी री आंधी आई
काळो-पीळो मोसम लाई
दुखड़ो दूर भगावण आई
जीवण सार बतावण आई
मिटै गरीबी सुण ल्यो भाई
चेतो भूख घणी रे भाई
हम्मै कैवो किर-किर आई।
राम दुहाई।
राम दुहाई॥
नाचण लाग्या लोग लुगाई
भाई खा’र भतीजां खाई
ठंडै ठार नतीजां खाई
म्हारै हाथ कदै नईं आई
चमचा-चमची सगळां खाई
रोवै दूजा लोग लुगाई
आफ़त आगी बिना बुलाई
हमै कैवो किर-किर आई।
राम दुहाई।
राम दुहाई॥
मिनखाजूण सरण में आवै
बींरो बेड़ो पार लगावै
करै चूरमा खोर पकावै
घर बैठ्या बै मोज मनावै
आक में आम घणा उपजावै
बिना बादळी मेह बरसावै
झूठै झांसा पेट भरावै
मिटै भूख भूखो मिट जावै
धाया थारी छाछ राबड़ी
कुत्तां लार छुडा म्हारी माई।
राम दुहाई।
राम दुहाई॥