घर में बौळा टाबर उणरै, के पहरै के खावै?
रोटी सारु घर में बैठ्या, कूकारोळ मचावै॥
घरवाळी दु:खां भरियोड़ी, बा एलीजी गावै।
भुवा जी तौ घर में बड़ग्या, बारै कीकर जावै?
टींगर होग्या घणां मोकळा, ओ संताप न सहतौ।
सावचेत जे रहतौ भायां, सावचेत जे रहतौ॥
नीठ जुगाड़ दाणा रौ होय, गाबौ किणनै सूझै।
नागी पलटण फिरै उघाड़ी, थर थर थर थर धूजै॥
दांत भींच बौ खादी ल्यायौ, कुड़तिया होया सात।
तोइ तीन उघाड़ा रहग्या, बणी नीं पूरी बात॥
भोळा बाळ दया पण आवै, आज हियौ क्यूं दहतौ?
सावचेत जे रहतौ भायां, सावचेत जे रहतौ॥
पाड़ोस्यां रा टाबर देखौ, भणवा सारु जावै।
उणरी पलटण तौ दिनभर, बस गट्टा टोळी खावै॥
एक होवै तौ बौ ही भेजै, दस दस कीकर जावै?
पेट भरै या फीस भरै बौ, नहीं समझ में आवै॥
सगळी बातां सखरी होती, सारौ ही सुख रहतौ।
सावचेत जे रहतौ भायां, सावचेत जे रहतौ॥
मांदा टींगर देख देखनैं, सोच हुयौ पण भारी।
दोय जणां बुखार में पड़िया, खांसी तीनां न्यारी॥
एक को दूखै भोड जोर को, तीनूं दूजी गड़बड़।
नैनकियै री आंख आयगी, पड़गी उणरै हड़बड़॥
खूंजै में फूटी कौडी नीं, किणनै जायर कहतौ।
सावचेत जे रहतौ भायां, सावचेत जे रहतौ॥
अब तौ बौ सगळौ ही समझ्यौ, अब के सांधौ लागै?
पळटण सूं आंगण भरियोड़ौ, भूख कियां आ भागै?
घरवाळी रोवै करमां नै, रोटी मिलै न गाबौ।
इण घर में आ के सुख देख्यौ? बैठ्यौ बींद अभागौ॥
अपरेसण वाळी मोटर सूं, दूर दूर ही रहतौ।
सावचेत जे रहतौ भायां, सावचेत जे रहतौ॥
अणपढ़ होवण सूं उणनैं नीं, सांचौ मारग लाधौ।
अब तौ बात बिगड़गी पूरी, अब के लागै सांधौ?
छाती रा तौ छोडा छुलग्या, निरबळ होग्यौ कांधौ।
चेत सक्यौ नीं समै सार ओ। देख हियै रौ आंधौ॥
संभळ जातौ सही समै पर, अैड़ा दुख क्यूं सहतौ?
सावचेत जे रहतौ भायां, सावचेत जे रहतौ॥