गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

बहू सांवळी आई

माथै बांध्यो चांद-बोरलो

पग पाजेबां-तारा

सुपनां बाजूबंध जड़ाऊ

सोवै कामणगारा

सागै पेई भर नींदड़ली

नैण मोवणी ल्याई

गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

बहू सांवळी आई

बादळिया दो च्यार कुंआरा

देवरिया मटबोला

भौजाई कोयल री जाई

करै किलोळां रोळा

पकड़ कानड़ा पून दकाल्या

स्याणी नणदल बाई

गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

बहू सांवळी आई

दिन दिवळै री लौ में धण सूं

मिलियो लाजां मरतो

पड़्या रात रै खोजां नैं

काजळ कैवै डरतो

घाल मिलण सैनाण पलक जग

नीजर करै सुवाई

गोरै दिन रै लारै सिंझ्या

बहू सांवळी आई...

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : कन्हैयालाल सेठिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बीकानेर ,
  • संस्करण : तीसरा
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