भायाँ नेह प्रेम बरसाओ
रे छोड़ो राग द्वेष सब आओ
नमन कराँ आपां ई देश महान् ने
आखो जग पूजैला हिन्दुस्तान ने
देश री माटी चंदन केसर कुंकु तिलक लगालो
कण—कण है सरसायो ईंरो तन—मन ने सरसालो
वीर धरा रा जायोड़ा इक दूजा ने अपणालो
अब थें छोड़ो थारी—म्हारी
या तो धरती प्राणाँ प्यारी
सरसे ईंरी केसर क्यारी
छोड़ो मत ईं में चिणगारी
टुकड़ा ईंरा कर थे मती करो अपमान रे
आखो जग पूजैला हिन्दुस्तान ने
नीं पंजाब आसाम करे कोई, नीं कोई बंग प्रदेश
यो तो सब री आँख रो तारो प्यारो भारत देश
जाति पाँति अर सम्प्रदाय रो मेटो परो क्लेश
नीं व्हे खालिस्तान री बाताँ
नीं व्हे रगत रँग्योड़ी राताँ
सबने हिय सूं अबे लगाओ
गीत सब देश प्रेम रा गाओ
शेर सरीखा सब हाँ भारत री संतान रे
भाषा सब री न्यारी—न्यारी जीं सूँ काँई लेणो
भाईचारा री सीख भाषा, देशप्रेम में बेणो
करो विशाल हिरदै नै भायाँ करो मती थे नेनो
छोड़ो भाषा री तकरार
मिटा दो अबे मनाँ सूं खार
करो थे प्रेम प्रीत संचार
बहादो अमरित री रसधार
फैलादो आखे भारत में मंद—मंद मुस्कान रे
आखो जग पूजैला ई हिन्दुस्तान ने।