गांव रो टाबर

तावड़ै सूं

बचावणो चावै

आपरो घर!

बो

आंख्या माथै लगावै

आरपार जोंवती

बादळ-बरणी चादर

अर हुवै राजी!

गांव रो टाबर

देखणी चावै

च्यारूंमेर हरियाळी

बो

आंख्यां माथै लगावै

आरपार जोंवती

हरियळ चादर

अर हुवै राजी!

गांव रो टाबर

देस रै नक्सै मांय

भरै

इंदरधनख रा रंग

अर हुवै राजी!

गांव रो टाबर

देखणो चावै

घर नैं

गांव नैं

देस नैं

हरखावतो,

खिलखिलावतो!

बो लगावै

आपरी आंख्यां माथै

भांत-भंतीली चादरां

हरखै!

खिलखिलावै

अर हुवै राजी!

स्रोत
  • सिरजक : मदन सैनी ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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