कंठां में कोड है भारी, झरै घण प्रेम री झारी।

अवल में गांवटी आवै, बणावै नेह री क्यारी॥

रिझावै गांव री रीतां,

पकी है नेक सूं प्रीतां।

गळी रा बाळ है कान्हा,

घरां री नारियां सीता॥

कमाई हाथ री खांणी, पलक ईमान रौ पांणी।

सुखां में मोदता सारा, ढमाकै गूंजती ढांणी॥

अजांलग एवड़ांय हांकै,

छता घी-दूध यूं छाकै।

अंतै में ईस री सेवा,

मिनखपण गांव में म्हांकै॥

सजै नर सांवळा सावा, मुदै घण मौज रा मावा।

हथाळियां मेंदड़ी राची, दमामी गीत रा चावा॥

मुरकलै गोखरू गैणा,

पागड़ी फाबती पैणां।

पगां में मोजड़ी धारै,

सुखी थळ ओपतौ सैणां॥

कबीरी वाणियां गूंजै, मीरां रौ माधव पूजै।

जळावै मात रै जोतां, सदा पंथ सांच रौ सूझै॥

भली घण खेतरी भावै,

पसीनौ खेत नै पावै।

कुदाळी कांधियै राखै,

गुणी गुण करम रा गावै॥

बाबा री फाबती बीजां, चढावां प्रेम सूं नैजा।

अखातीज होळ्यां आवै, सावणी सोहती तीजां॥

प्रेम री रीत यूं पाळौ,

रखौ अै गांव रौ गाळौ।

दुखां नै हेत सूं दाझां,

अणहूतां आग में बाळौ॥

स्रोत
  • पोथी : डांडी रौ उथळाव ,
  • सिरजक : तेजस मुंगेरिया ,
  • प्रकाशक : बोधि प्रकाशन, जयपुर ,
  • संस्करण : प्रथम
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