उण क्वार्टर में

मांचै री ईस अपड्यां

लालटण री

पीळी-मांदी

बत्ती रै उजास में

धांसी सूं बाथेड़ा करतौ थूं

गुवाड़ अर गुआं में

कदे-कदास

भूंसता कुत्ता

दुर्रे-दुर्रे री दकाल

अर

अठी

इण बरावंडै में

म्हारै पसवाड़ै सूं

निंवास

खोस'र ओढती

रात,

ठाडी मांझळ रात

अणचेत

बगत री फुरक्यां में

फुरकण लागी है

बाजण लागी है म्हारा बाप!

म्हारा गुरु!

थूं धांसी नै

खंखारै तांईं

बेगीसीक पुगा

पुगा म्हनै दोराई व्है

देख मांचा पसवाड़ै रै स्हारै

कटका काढण लाग्या है

उंतावळ कर डावड़ा

उंतावळ कर

जे नीं खळकै धांसी तो

भांग राळ ईस

चाल चाल

बारै तो आय पड़े

म्हारा रूंधीज्योड़ा आंसू

थ्हारी बेकामी

गळगळी रीस।

म्हैं जाणूं

म्हैं जाणूं

म्हारा बाप

थूं अेक मिडिल स्कूल रो

हैडमास्टर है

मास्टर होवण रौ सांच

कित्तौ बैड़ौ अर भूंडौ

व्हैं जावै

हरेक म्हीनै री बीस तारीख रै

अेड़ै-छेड़ै

जद म्हैं थनै

साव नागा अर नचींता हाथां देखूं।

स्रोत
  • पोथी : कठैई कीं व्हेगी है ,
  • सिरजक : तेजसिंह जोधा ,
  • प्रकाशक : तेज प्रकाशन, बीकानेर
जुड़्योड़ा विसै