तिलोक रै
पोते गुल्ली-डंडा सारूं
भांग लीधो है
गाड़ी रो टूटो पेड़ौ।
पोळ में कितरा ई
बरसां सूं यो
अणवावड़ पेड़ौ पड़्यौ हो
इण रै बीचोंबीच
तण गया हा माकड़ी रा जाळा
वसूमरा इण माथै
चढता-उतरता
तिलोक री घर वाळी
खेतां सूं आवती तो
इण कनै चारै रो
भारो नाख देती
अर कमर में
खोंसियोड़ी दांतळी
काढ़’र इण माथै
मेल देती।
तिलोक ई जै कदैई
बरखा में भींजतो
घरां आवतौ तो
इण माथै सुखा देवतौ
आपरी आली अंगरखी
तिलोक री गाड़ी रौ
टूटो पेड़ौ
इण हाल में भी खुस हो
उणनै तिलोक रो
परस तो मिलतो हो।
उण दिन
तिलोक रै पोते
गुल्ली-डंडा सारूं
उणनै भांगियो तो
वो दरद सूं चीख पड़्यौ
उण रै सांमी
उणरौ विगत आ’र ऊभौ
व्है गयो-
'कितरी दूरी मापी है
म्हैं खेतां सूं घरां
घरां सूं खेतां
गांव-गोठ
देवरा-मजीद
सुख-दुख
तीज-तिंवार
मायरा-मुकलावा
औसर-मौसर
म्हैं कठै-कठै नीं
रखड़्यौ तिलोक री गाड़ी में
उणनै चालती राखी
कांटा-भाटा
कादा-कीच
रांखड़-कांकड़
गडार-गडार
म्हैं कितरो भम्यो
पूरी उमर
इण बात नै तिलोक
जाणे'क म्है जाणूं।'
'तिलोक भूल गयो है
स्यात म्हनै
गाड़ी में नुवै पेडे़ रै
लागतां ही
पण म्हैं कियां भूल सकूं हूं
तिलोक रै सागै
कीधोड़ी जातरा।'
उणनै याद आयो
कितरी ही दांण
कादै-कीच सूं
तिलोक उण नै काढ़ियो
सावचेती सूं
उणनै वांगियो
उण री उमर बढाई
होळी-दीवाळी
उण माथे कंकू-लच्छा
चढ़ाया
बीतै दिनां नै सुमरतै
पेड़े एक निसांस नांखी।
इतरा में तिलोक
पोळ में बड्यो
उण दिन भी वो भीजियाड़ो हो
उण अंगरखी उतारी अर
नांखवा लागो पेड़े ने देख'र
उण री आंख्यां सूं दो बूंदां टपक पड़ी
अर उण घर-धरियाणी नै कह्यो-
'इण पेड़े ने काल
ओवरे में मेल दीजै
आपणो जूनो संगेती है।'