गिरनार रा गोखां री

बाजणी बीजळी

गीतां गजरायोड़ी सोरठ सांवळी

कितरी दिखणी सुपारियां रौ सौदागर रंग

थारी पळटवीं प्रीत री पनोती चढ़ी अेडियां

उतर उतर लागी।

सै रंग खूटां

सीचाणै रंग राचणी

सै नेम तूटां

अणंत नेम राचणौ

खुद मुखत्यार कांम मरजादा री मानेतण

थारै खातर

धज धूजतै रणां में ही

थूं मरबै महकती

किलोलण किलंगी ज्यूं कणकणी।

मांणस नेह वीणा रै

सातूं सुरां नीचै

थूं आठवैं सुर ज्यूं

आज दिन तांई प्रीत रै

सरपीलै सोपै रै सिरांणै आलापै

हे भोग रै भटकतै भाग री

आखरी भोळावण।

थारै लागणै नैणां रै पांणी सूं

समै समंद री रळकती रतन कणगती में

रह रह नवी रळी आवै

जिण खातर

आकळ रैवै लैरां रा प्रांण

सिंधू री मरजादण काया कसमसै,

थगिया नके रतनाकर थाग

थारोड़ा मकराळा मैरांण

कुण तौ थगै।

थें तौ मांयली चिणख प्रजाळ

खीरां खंखेरी थारी देह

हमें किताक बींजरा धज राख

धूणी तापवै?

स्रोत
  • पोथी : जातरा अर पड़ाव ,
  • सिरजक : नारायण सिंह भाटी ,
  • संपादक : नंद भारद्वाज ,
  • प्रकाशक : साहित्य अकादेमी
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