गांव री कांदा-रोटी, सागै मोळी छाछ,

मिरचां री चटणी, अर राबड़ी रो सुवाद,

सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ!

बाजरी से सिटौ, तिलां रो कूटो,

चिणा गेऊं री घूघरी, माखण रो चूंटियो,

काकड़ियां रा खेलरा, टिंडसी रा फोफळिया,

मोठ-मूंग रा पटोळिया, आटै री राबौड़ियां,

खोखां री खोज, गवारफळी रो भोज,

बोरड़ी रा बोरिया, सांगरी रो साग,

चौमासे से कातीसरो, याद आवै आज,

सैरां मै कठै है, बे गांव रा ठाठ!

खुली बाखळ अर ठंडी पूरबाई पून,

दिन मै छान अर पछै तारा छायी रात,

डांगरा रो अड़ाव, धीणै री ढाक,

कोरी-कोरी मटकियां, बिनणियां रो बणाव,

धोरां री धरती, उणमैं आवै साव,

ओळ्यूं आवै म्हारे गांव री म्हनैं आज,

सैरां मैं कठै है, बे गांव रा ठाठ!

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : मृदुला राजपुरोहित ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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