कदैई-कदैई मारग रौ भै

रात रा बिछावणां माथै

आय फंफेड़ै

कदैई-कदैई

सुपना री डरपणी

मिनख नै गेलै चालतां धूजावै!

स्याणा मिनख

काढ लिया करै

सुपना अर डरपणी रै बिचाळै कर

आपरौ मारग

पछैडरियां करै सुपना

डरियां करै मारग!

स्रोत
  • पोथी : मारग ,
  • सिरजक : चन्द्र प्रकाश देवल ,
  • प्रकाशक : देवल प्रकाशन
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