म्हूं बिज्यो खोड़,

नखा सूं खोदी धरती

उगायो धान!

भूखौ-तीस्यो अबखो हुयो

रात दिन रेल मिस बग्यो

इतरी घणी मिनत रै बाद

म्हूं धणी नीं बण सक्यौ

रियो चौथियो गो चौथियो ही।

स्रोत
  • सिरजक : पवन 'अनाम' ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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