माणक, मोती, मूंगा मिलग्या, आंगण गांव गुवाड़ा में।

म्हे मगरां रा कछुवा भाज्या, खरगोस्यां रा पाळा में॥

ठगी छळावा आवै कोनी

जिम योगा मन भावै कोनी।

ढाण्डा ढोर टोरतां टिपतां

मोरनिंग वाक पोहावै कोनी॥

कस्सी, खुरपी, हाथ दंताळी, थाक्या नहीं निनाणां में।

म्हे मगरां रा कछुवा भाज्या, खरगोस्यां रा पाळा में॥

छ्याळी, गायां भैंस चरावां

इस्कूलां में आंक मंडावां।

घर में गोबर-भारी करतां

करां सवारी दो-दो नावां॥

नाडी-नाळा, ताळ-तळावां, बिरखा जोर ऊफाणां में।

म्हे मगरां रा कछुवा भाज्या, खरगोस्यां रा पाळा में॥

मोठ बाजरो फळी फोफळ्या।

काचर बोर मतीरां सीर॥

बर्गर पिज्जा परै बठावै

छाछ राबड़ी म्हारी खीर॥

घर में ऑफिस, ऑफिस में घर, ऊंच्या फिरां सिवाणां में।

म्हे मगरां रा कछुवा भाज्या, खरगोस्यां रा पाळा में॥

स्रोत
  • पोथी : कवि रै हाथां चुणियोड़ी ,
  • सिरजक : अवन्तिका तूनवाल ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
जुड़्योड़ा विसै