कोनी

चुरा सकै कोई

बगत री

आंख

बीं री निजर में

सगळा पग'र पांख,

बो ही बैठो गूंगै

बीज में

हंसतै फूल में

रूस्योड़ै कांटै में,

कोनी बीं रै वासतै

कोई डूंगर ऊंचो

कोई समदर गैरो

बीं रै ही

अलख हाथां में

सिस्टी री सांढ री मूरी

कोनी सुणीजै

बंतळ करता बटाऊड़ा नै

बीं री टिचकारी!

स्रोत
  • पोथी : कन्हैयालाल सेठिया समग्र (राजस्थानी) ,
  • सिरजक : कन्हैयालाल सेठिया ,
  • प्रकाशक : राजस्थान परिषद, कोलकाता
जुड़्योड़ा विसै