गा- 1
गा गुवाड़ी री
सोभा हुंवती
पण अबै गळियां में
धणियां नै फिरै रोंवती!
घी, दूध, दही, छाछ, लस्सी,
मिठाई, रसमळाई
खावणा तो सगळा चावै
पण अेक
गा पाळणै रो
कजियो कुण नै सुहावै।
सुकी रोटी'र का
बंदारेड़ै साग रा छूंतका
रबड़ री गोथळी मांय फेंक'र
गो सेवक कुहावै।
गा- 2
सैं
सूं
धीरा
मा,
गा,
धरती
अर
मायड़ भासा
राजस्थानी।