कोई बात कोनी
झूळड़ ली
तो झूळड़ ली
तूं देखतो जाई
रुत सारु फेर लाग ज्यैई
म्हारै अंतस रै दरख़त माथै
हेत री निमझर
बिस्वास री डाळी माथै
हरी-हरी
पीड़-पळकती
तूं भळै आई
आंवतो रैयी
अलबत ही दरख़त हूं
बेगो सो
के मरूं।