आज बेच कै ऊंट, सायबा घर आया।
पी दारू की घूंट, सायबा घर आया॥
गैले में दस ठोड़, रोज माँ-भाण करै।
जी दिन भिड़ज्या ठाडो, बीं दिन मार पड़ै।
जाणै कितणा सूं रूठ, सायबा घर आया॥
पी दारू की घूंट, सायबा घर आया॥
मैं जोऊं सेजां बाट, सजन पत्ती खेलै।
हार् यां गिरवी करड़ा लत्ता, जूती तक मेलै।
पैर् यां मांग्योड़ा बूंट, सायबा घर आया॥
पी दारू की घूंट, सायबा घर आया॥
ना खुद रो ध्यान, ना घर रो सोच करै।
पूण-पावलो मिलज्या, दिन भर मौज करै।
फेरी दे च्यारूं कूंट, सायबा घर आया॥
पी दारू की घूंट, सायबा घर आया॥
जोबण झोलां चाँद, च्यानणी रंग-रातां।
जलम-जलम रो साथ, जलम भर री बातां।
कर कै सगळां नै झूठ,सायबा घर आया॥
पी दारू की घूंट, सायबा घर आया॥
आज बेच कै ऊँट, सायबा घर आया॥
पी दारू की घूंट, सायबा घर आया॥