माटी रा मोल लियोड़ा दो मोरिया,

दायजै में आयोड़ी दीवार-घड़ी,

जेठ री दुपारी में

हाथां काढ्योड़ी चादर अर सिराणा,

गूगै री चिलकणी कोर आळी फोटू

बरसां सूं संदूक में पड़ी देखै

अेक

कमरै नैं सजावण रा सुपना।

स्रोत
  • पोथी : मंडाण ,
  • सिरजक : विनोद स्वामी ,
  • संपादक : नीरज दइया ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी ,
  • संस्करण : Prtham
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