आपरी

ऊंची इच्छावां री

ओछी पूरती

करण सारूं

सेवा अर् दया नै

ऊंची टांड पर धर।

नबज की ठौड़

जेबां टटोलतो

सांसा रो सौदागर...।

स्रोत
  • पोथी : अणकही ,
  • सिरजक : कैलाश मण्डेला ,
  • प्रकाशक : यतीन्द्र साहित्य सदन (भीलवाड़ा) ,
  • संस्करण : प्रथम संस्करण
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