दीतवार रै दिन

लगौलग ऊंधै है

म्हारौ सै’र

दूजा सगळा छोटा

सै’रा री दांई

गति अवरोधक

खर्राटा भरै है

दीतवार नैं

अेक तरफा यातायात

रा साइन बोर्ड

अेकै कांनी मेल दिया जावै

मंच री बेकार

प्रोपटी री दांई

अर इण तरै

म्हारै सै’र री सड़कां

इधकी चौड़ी

हुय जाया करै है

दीतवार रै दिन

लोगबाग़ कम निकळ्यां करै है

घरां सूं

बै मिनख जरूर

सड़कां माथै रुळता दिखै

जिणां नैं किणी घर री तलाश है

कै बै मिनख

जिणां रो घर

कठैई गमग्यो हुवै।

स्रोत
  • सिरजक : प्रेमजी ‘प्रेम’ ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोड़ी
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