सोना रो सूरज मुळकै धरती रो पग भारी

लुळ-लुळ बरसा करै आरतो भर मोत्या री झारी

गीत चिडकल्या गावै रे

वन मे नाच मोर कळायण ढोल बजावै रे

करसा करै निनाण फसल नै सीच पसीनो पाळी

चाल्यो पूछ मरोड बळद री बेरो पाबा हाळी

डब-डब चडस डुबावै रे

ख्याल टेर रामू चनणा रो लाव उठाव रे गीत॰

मक्की बाजर और जवा री लडा झूमती लुमै

लूठा-लूठा मिट्टा सौंधी माटी रा पग चूम

पांखी उड-उड आव रे

दे हलकारा रूखा पर पीपा खुडकावै रे गीत॰

गुड को खेरो तेल तिली को चूर खीचडो खावै

कर आचळ री ओट सुहागण दूध-पूत प्यावै

गाय रभाती जावै रे

मायड पूत बिछोवा जग मे कुण नै भावै रे —गीत॰

छोरा-छोरी फूदी लेवै दे ताळी पर ताळी

सात समुदर गोपीचदर रमता कर रखाळी

टाबर रोळ मचावै रे

घडै घरूदा पग पर बाळूडी थपकावै रे—गीत॰

टुण मुण करती गाड्या जाव धोई राता

चाद बापडो लाजा मरग्यो, सुण-सुण मीठी बाता

कुण री ओळ्यू आवै रे

कुण रा आवै सपना कुण रा सुगन मनावै रे—गीत॰

बांधी बानरवाळ बायरो रिमझोळा झमकावै

सूप्या करै किलोळ कमेड्या आगण चौक पुरावै

म्हारो मन हरखावै रे

रामदेव तेजाजी सबकै आडा आव रे

वन मे नाचै मोर कळायण ढोल बजावै रे।

स्रोत
  • पोथी : राजस्थान के कवि ,
  • सिरजक : त्रिलोक गोयल ,
  • संपादक : रावत सारस्वत ,
  • प्रकाशक : राजस्थानी भाषा साहित्य संगम (अकादमी) बीकानेर ,
  • संस्करण : दूसरा संस्करण
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