ढाणी न्यारी चीज है

घर सूं

आंगण बाखळ

चौकी, कमरियो

सगळा अेको कर'र

बणाल्यै घर

पण ढाणी?

रेत नैं ही ठा है

किंया'क बणै खेत

अर फेर

खेत में ढाणी।

स्रोत
  • सिरजक : देवीलाल महिया ,
  • प्रकाशक : कवि रै हाथां चुणियोडी़
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