बात अठै सूं सरू करां

के आप

कठै’क तांई चालौला

म्हारै साथै?

रस्तै में कठै-कठै रुकौला

किण-किण सूं मिळौला

कीं जगै म्हनै रुकणौ है

कीं उडतोड़ा रंगां नै रोकणा है

कीं गमियोड़ा रंगां नै

सोध’र

पाछा लावणा है।

चावौ तौ

आप कर सकौ काम

कोई कर सकै

चावै तौ।

पाणी गंदलौ है

हवा मैली है

बीमारियां फैली है

काम करणिया हाथ

बंधियोड़ा है

वनस्पतियां रंग इज नीं

स्वाद गमाय दियौ है।

टप्पर रा छप्पर उडग्या है

केई पेट

पूठ सूं बंतळ करै

धूजता हाथां री हथेळियां

मुट्ठियां बण रैयी है

म्हैं आंरै पगस में रैवूंला

थे किणां रै पगस में हौ

तै करौ।

केई जगै

धोवणौ पड़ैला आकास

फोटोड़ी नदियां रै

केई जगै

देवणा पड़ैला टांका

परबतां री खुदती नींवां

अर खोखला व्हेता काळजा

रोकणा पड़ैला

रफू करणा पड़ैला केई जंगळ।

वौ उठीनै

धूंवौ उठ रैयौ है

आग उठीनै व्हैला

उण दिस

कीं हरियाळी दीसै

पाणी उठीनै व्हैला

अर म्हैं

आग-पाणी री तलास में हूं

के जरूत मुजब बरत सकूं-

बोलौ,

चालोला म्हारै साथै

बतावौ-

कठै सूं सरू करां काम

बात री सरुआत कठै सूं करां?

स्रोत
  • पोथी : अपरंच ,
  • सिरजक : पारस अरोड़ा ,
  • संपादक : गौतम अरोड़ा ,
  • प्रकाशक : अपरंच प्रकाशन
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